Tuesday, December 6, 2011

सीना आसमान का

चोडा सीना नीले आसमान का..
खुद मे इतने राज़ छुपाए हुए.
देखे है इसने कितने ही राजा ज़मीन पर.
ओर कितने ही फरियादी झोली फैलाए हुए..


देखा किस्मत बदलती फकिरो की..
ओर नीलाम होती तकदीर अमीरो की..
नज़ाकत देखी इसने फूलो की
ताक़त देखी इसने कभी लोहे की जंजीरो की

सपनो को इसने टूटते देखा.
देखा बिखरते अरमानो को..
हार मान कर बैठ गये  जो
देखा उन नासमझ इंसानो को.

देखा है इसने बनते इतिहास को.
हर पल बदलते रिश्तो के अहसास को..
कभी अपनी स्वार्थ की ज़मीन पर..
बदलते देखा लोगो के निवास को..


देखा कभी फ़िज़ा को महकते हुए.
पंछियो को खुशी से चहकते हुए..
देखी लहरे बहती जज्बातो मे
बादल भी बरसे मानो बहकते हुए..

कभी इसने देखा त्योहार
घर मे नवशिशु के आने का
देखा घर मे फैला सन्नाटा..
कभी दूर किसी के जाने का..

कभी देखा इसने मरते एक
भगत सिंग को देश के लिए
कभी देखते इसने बिकते इंसान..
अपने फरेबी परिवेश के लिए..


चोडा सीना नीले आसमान का..
खुद मे इतने राज़ छुपाए हुए.
अपनी जगह पर है अडिग ये
अपने सभी दर्द छुपाए हुए

पल खुशी के कम ओर गम के ज़्यादा है..
पर इसने निभाया वो जो इसकी मर्यादा है..
आसमान की इस खामोशी समझ इंसान.
ज़िंदगी के युद्ध मे तू सिर्फ़ एक प्यादा है.


No comments:

Post a Comment