Wednesday, December 7, 2011

देश मेरा


समझ सको तो समझो इसको..
देश ये मेरा बड़ा अजीब है..
दूरीया हो चाहे समुन्देरो की
पर दिल एक दूसरे के करीब है..


ईद मुबारक कहते हम सारे
मनती खुशिया दीवाली की शोर से..
खीर बनती गुरुपर्व पर.
मनाते होली बड़े ज़ोर से..


होंसला आगे बादने का हर नज़र मे
ओर मिले जो उसे मानते अपना नसीब है..
समझ सको तो समझो इसको..
देश ये मेरा बड़ा अजीब है..


विज्ञान को हम देते चुनोती..
ओर रस्मो भी अपनी निभाते है..
खोजते भगवान की मूरत पत्‍थर मे..
ओर दिए नदियो मे बहाते है..


चाँद पर पहुँच चुके है..
ओर ताक़त की एक नयी उचान है..
गुरूर नही करते इस पर भी..
रखते हर इंसान का मान है..

कमिया मेरे देश मे लाख सही..
दुनिया को एक नयी राह दिखाते है..
आती जब विपदा कहीं पर..
मदद करने हम पहुँच जाते है..


समझ सको तो समझो इसको..
देश ये मेरा बड़ा अजीब है..
दूरीया हो चाहे समुन्देरो की
पर दिल एक दूसरे के करीब है..

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