Tuesday, February 21, 2012

मौसम चुनाव का

मौसम फिर से आया है..
गली गली घूम कर आने का..
चलो वोटो के बहाने ही सही
अपनी प्रजा से मिल कर आने का,,,

पूछेगा कोई हमसे..
क्यों तुम मारू के मेघ हुए.
वादा किया था सुध लेने का..
वृधा गये पर तेरे इंतेज़ार मे

समझा देंगे उन नादानो को
व्यस्त थे हम अपने निवास मे
32 रुपय मे चले दिन तुम्हारा.
बस उसी के एक प्रयास मे

रोटी हम दे या ना दे पाए..
आरक्षण हम तुम्हे दिलाएँगे..
ठिकाना नही है जहाँ बिजली की रोशनी का..
'आकाश' हम तुम तक पहुँचाएंगे

हम है राजा यहाँ पर..
अपना राज धर्म निभाते है..
प्रजा सोए भूखी यहाँ
पर अपना मुद्राकोष बढ़ाते है

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