बीते पलो की तो बस इतनी सी कहानी है..
होंठो पर है मुस्कान कंपकपाती हुई..
और आँखो मे समुंदर जितना पानी है..
आज मौसम इतना हसीं है
शामे तो कल भी गमगीन ना थी..
पर इन सपनो के पंछी की तकदीर मे
आसमान तो था पर ज़मीन ना थी..
बीतो पलो की कही ये ज़ुबानी है..
रोक सकते तो रोक लेते उड़ने से
चलती कहाँ है आख़िर दिलो की ये नादानी है..
आने वाला पल भी आज ज़िद पर आड़ गया है
ज़िंदगी के लिए एक कल दूसरे कल से झगड़ गया है..
कल की इस जंग को देखो दोस्तो..
साथी कोई मुझसे बिछड़ गया.. पर
आने वाले पलो की बस अब इतनी सी कहानी है
दर्द को छुपा कर रखो सारे ज़माने से
बाँटो खुशिया आख़िर दो पल की ये ज़िंदगानी है..
No comments:
Post a Comment