Wednesday, August 15, 2012

आज जश्न आज़ादी का मानने से पहले..

आज जश्न आज़ादी का मनाने से पहले


शत शत नमन वीरो को करता हू..



जो कुर्बान हुए कभी सरहद पर..

कभी सत्याग्रह मे जिन्होने दम तोड़ा है..

जो पल पल मरे है अपनो से दूर रह कर..

देश की तकदीर से ही अपना नाता जिन्होने जोड़ा है..



एक लक्ष्य था हर एक..

सोच बेशक अलग थी..

हालात थे विरोधी मगर..

आँखो मे जीत की ललक थी



वो कामयाब हुए थे..

अपने मज़बूत इरादो से..

लड़े थे एक सशक्त के खिलाफ..

ताक़त ओर जज्बातो से..



कोई खेलने की उम्र मे फन्दो पर झूला था

आज़ादी के क्रांति का फल दिलो मे कहीं फूला था

कोई अहिंसा की तलवार से बढ़ा था सब को लहू लुहन करते..

देश की खातिर कोई अपनी पहचान तक भूला था..



तमन्ना थी जो उन दिलो की

वो आज भी अधूरी है..

हम दौड़ रहे है बिना किसी दिशा के..

ना जाने कौनसी मजबूरी है..





थमा नही है कारवाँ ये अभी..

अभी तो हाथ पकड़ कर चलना है..

जश्न हम माना रे है गैरो से मिली आज़ादी का..

अपने अंदर के लालची शासन से हमे लड़ना है..

आज जश्न आज़ादी का मानने से पहले..

हुंकार एक नये क्रांति की मैं भरता हू

जो कुर्बान हुए है देश की खातिर..

शत शत नमन वीरो को करता हू..

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