जो होता पास तू मेरे..
दिन गुज़रता..
पकड़े तेरा हाथ
तस्वीर होती आँखो मे हर शाम
सपनो का बिस्तर पर जब सोता
जो होता पास तू मेरे..
ना होती सुबह..
इतनी अकेली..
ना हर शाम..
चुपके से मैं कहीं रोता..
जो होता पास तू मेरे..
जीता मैं भी
हर पल एक नयी मौज़ से.
मरने से पहले
यू एक लाश ना बना होता..
जो होता पास तू मेरे..
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