Saturday, December 31, 2011

जन्नत से अज़ीज है तू..

तुझे खो कर पाया है जो..
दुनिया की नज़र मैं जन्नत हैं

जन्नत से अज़ीज है तू..
मेरी दुआओ की मन्नत है..

उलझानो मे हू कि
हाल ए दिल बयाँ कैसे हो

कसम्कश है सब कह देने की पर.
चाँद लॅफ्ज़ो मे ये बयाँ कैसे हो...

नही भूल पाता हू आज भी..
तुम्हारा वो धीरे से मुस्कुराना..

मुझको अपने इंतेज़ार मैं जगा कर..
खुद गहरी नींद सो जाना...

किसे बताऊ अब मैं बाते अपनी..
किसकी बातो को सांसो की रवानी बनाऊ

किसे बनाऊ चैन अब आँखो का
किन मुलाक़ातो की अब एक कहानी बनाऊ


तुझे खो कर पाया है जो..
दुनिया की नज़र मैं जन्नत हैं

जन्नत से अज़ीज है तू..
मेरी दुआओ की मन्नत है..

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