Thursday, March 22, 2012

कभी तो तू जाग भी जा

क्यों तू चुप बैठा है
क्यों तू सब सहता है
कभी तो तू जाग भी जा
कभी तो अपना हक दिखा

जब आकर कोई तेरे दरवाजे पर
तुझ को ही धमकाता है
तू क्यों मन मसोस कर
चुप चाप सब सह जाता है

... जब तेरे बुनियादी ज़रूरत को
कोई तुझसे छीन ले जाता है
क्यों प्रत्युतर में तू
अपना हाथ नही उठाता है

बहुत हो चुका है सहना
खून को तो खौलना होगा
बहुत जल चुका है लाचारी मे
अब इस देश को बदलना होगा

बहुत चल चुका है पीछे दूसरो के तू
अब कमान पकड़ खुद आगे चलना होगा
खोखला कर रहा है जो देश को
उस दीमक को तो अब मरना होगा

भूल कर अपने मतभेदो को
गद्दारो को मिटाओ तुम
युवा हो तुम भविष्य इस देश का
एक खुशनुमा जहाँ बनाओ तुम

तकदीर मे आए जो मिटना
हँसी खुशी जान लूटा देना
बचाने को इस देश की हस्ती
अपनी हस्ती मिटा देना..

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