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Sunday, November 27, 2011

बारिश

भीगा भीगा सा ये आसमा
मुझे कुछ गुदगुदाता हुआ

इंतेज़ार हल्की इक बारिश का..
कुछ मुझे तरसाता हुआ...

छुपाए है सूरज को अपने आँचल मे जो..
उन बदलो से वो बतियता हुआ..

सुहाने इस मौसम बेगाने मे..
इंद्र-धनुष खुशी का एक बनाता हुआ...

बस कुछ पल देख राह मिलन की
मुझसे ये मनवाता हुआ...

इंतेज़ार तुझे अपने मीत से मिलने का..
अहसास हर पल मे ये दिलाता हुआ...

भीगा भीगा सा ये आसमान..
कुछ मुझे कुछ गुदगुदाता हुआ

ओर आने वाले लम्हो की खबर से.
अंजान मंद मंद मुस्कुराता हुआ..

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