Friday, December 2, 2011

माँ

चुपके से सुबह को उठाती वो

प्यार से बालो को सहलाती वो

तकलीफो मे भी मुस्कुराती वो..

उंगली पकड़ चलना सीखती वो..

तेरी हर बुराई को छिपाती वो..

तुझे अच्छा इंसान बनाती वो..

ग़लती पर तुझे डाँट्ती वो..

रूठने पर फिर मनाती वो..

पहचान तेरी एक बनाती वो..

मुश्किलो मे रास्ता दिखलाती वो..

तेरी हँसी पर अपना सब लुटाती वो..

सूरत तेरी आँखो मे बसाती वो..

निस्वार्थ प्यार की मूरत है जो

माँ कहते है अंजान उसको..

2 comments:

  1. Itne se shabd kam hai us maa ko paribhashit karne ke liye..
    Par sach me mummy ki yaad dila di tumne :)
    Love u Maa!!

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  2. it was just a try to put the feeling for her.. nobody can't describe it ever in words..

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