Saturday, December 3, 2011

नादानी लम्हो की

गुज़रते लम्हे
मुझे अचरज से घूरते हुए..
आँसू है जो पलको पर..
उन आँसुओ को पोंछते हुए...
एक दर्द अपन बयान करते है

मिला था एक राही उन्हे भी
अपने वक़्त को कोसता हुआ
चल रहा था मायूस वो.
आँखो मैं बुझे सपने लिए..
वो भी अपनी मंज़िलो से मिलते है


गुज़रते लम्हे
मुझे धीरे से समझाते हुए
लड़ कर लिखी जाती जब तकदीर..
अहसास करती वो सुकून का
जैसे नासूर जख्म पर मरहम कभी मलते है

इतना सुनकर मैं भी
अपने कहानी बयान करता हू
गम नही है पलको पर है जो
ये है पैगाम किसी के मिलने का..
नज़र आता है ये जब पत्थर दिल पिघलते है


पलको पर आकर थम गया है जो
वो खुशियाँ है किसी के घर आने की..
यकीन आता है हक़ीकत का इससे.
ये प्रमाण है उसकी मोहब्बत का..
इस पल के लिए तो दिल बरसो तरसते है..



सुनकर मेरा तराना
समझ आया लम्हो को की
फ़ितरत है आँसुओ की बहना
कभी खुशी कभी गम के
ये हमेशा पलको पर ही मिलते है

-- By Anjaan

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