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Friday, June 14, 2013

कुछ बाते,

शाम ढले कभी चेहरा तेरा नज़र आ जाए तो कुछ बात हो...
याद आए तेरी और तू बाहो मे आ जाए तो कुछ बात हो..
कट रहे है मिलन के इंतज़ार मे दिन मेरे सदियो के जैसे...
कभी ये मौसम कुछ लम्हो मे बीत जाए तो कुछ बात हो...




जो गुम गये शब्द मेरे तुझसे मुलाकात मे तो क्या..
शब्दो की मोहताज़ नही है मोहब्बत मेरी..
कुछ कहना थी जो इस दिल को उस दिल से...
तेरे चेहरे मे खोई मेरी आँखे ही काफ़ी है उस बात के लिए..

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