खामोशियाँ फैली है सब ओर.
लगता किसी तूफान के आने की आहट है..
जलता है जहान ये अंगारो पर..
लगता प्रकति की ये बग़ावत है..
धधकता लावा ज्वालामुखियो का..
पिघलती पल पल हिम की जमावट है..
डूबते किनारे अब तेज़ी से यू
बदलती हर पल सागर की बनावट है..
खामोशियाँ फैले है सब ओर.
लगता किसी तूफान के आने की आहट है..
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