बात यदि करते हो उड़ने की तो
उड़ तो मैं भी रहा हू..
फ़र्क सिर्फ़ इतना है की
तुम उड़ रहे हो पंख लगा कर ..
और मैं उड़ रहा हू
टहनी से टूटे सूखे पत्ते की तरह,,,,
बात करते हो चलने की तो..
चल तो मैं भी रहा हू..
फ़र्क सिर्फ़ इतना है की
तुम चल रहे हो नयी मंज़िलो की राह पर
और मैं नाप रहा हू रास्ता.
अजनबी राहो का अंजान की तरह.
बात करते हो जो तुम जीने की तो
जी तो मैं भी रहा हू
फ़र्क सिर्फ़ इतना है की
जी रहे हो ज़िंदगी तुम ख्वाबो मे खोए हुए
ओर ज़िंदगी मेरी काट रही है कुछ यू की
नींद आती है बस एक मूर्छा की तरह..
उड़ तो मैं भी रहा हू..
फ़र्क सिर्फ़ इतना है की
तुम उड़ रहे हो पंख लगा कर ..
और मैं उड़ रहा हू
टहनी से टूटे सूखे पत्ते की तरह,,,,
बात करते हो चलने की तो..
चल तो मैं भी रहा हू..
फ़र्क सिर्फ़ इतना है की
तुम चल रहे हो नयी मंज़िलो की राह पर
और मैं नाप रहा हू रास्ता.
अजनबी राहो का अंजान की तरह.
बात करते हो जो तुम जीने की तो
जी तो मैं भी रहा हू
फ़र्क सिर्फ़ इतना है की
जी रहे हो ज़िंदगी तुम ख्वाबो मे खोए हुए
ओर ज़िंदगी मेरी काट रही है कुछ यू की
नींद आती है बस एक मूर्छा की तरह..
superlike sir.........
ReplyDeletefrom Neeraj soni
Thanks Neeraj
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