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Thursday, December 8, 2011

आम इंसान

घर मे ना हो बेशक
रोटी दो वक़्त की.
खेत मे करता मेहनत..
दूसरो की भूख के लिए..
मेरे देश का किसान है वो..


सरहद की सलामती करता..
सोता नही कई रातो तक..
लड़ता अपने आखरी साँस तक.
ओर मरता देश के रसूख के लिए
मेरे देश का जवान है वो..


ओर फ़ितरत से भिखारी जो..
माँगता भीख वोटो की..
करता राज़ निरंकुश्ता से..
जीता सिर्फ़ अपने सुख के लिए..
मेरे देश को वो नेता महान है..


पल पल कोसता ओर झगड़ता..
सरकारी विभाग के तरीक़ो से..
घिसता सारी उमर एक उम्मीद मे
हर पल मरता वो जीने के लिए..
मेरे देश का वो आम इंसान है..

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