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Tuesday, July 10, 2012

ज़िंदगी का नाम तो बस चलते जाना है


ज़िंदगी का नाम तो चलते जाना है..
मिलते है मुसाफिर काई अक्सर.. उसमे से कुछ हमराही भी होंगे...
कोई लौ है नयी उमीद का.. कोई उसमे तेरी परछाई भी होंगे
सुख दुख गुम खुशिया घड़ी दो घड़ी का आना जाना है,,
आख़िर ज़िंदगी का नाम तो बस चलते जाना है..


उँचाइयाँ होगी आसमानो की..
उन उँचे अरमानो की..
गहराइयाँ सोच की भी तो होती है..
ज़िंदगी अक्सर खुली आँखो से सोती है..
नींद की फ़िक्र कहाँ जब घर कोई बनाना है..
ज़िंदगी का नाम तो बस चलते जाना है..

गुलाब समझ जिससे महकाया हो गया बाघ कोई,,
शूलो मे हाथ तो लहू मे सना  होगा..
जो सोचा होगा लड़ने का उमड़ते तूफ़ानो से..
कभी पाषान सा सख़्त भी तू बना होगा..
ये सख्ती ओर नरमी.. गुज़रते वक्त का सिर्फ़ एक बहाना है..
ज़िंदगी का नाम तो बस चलते जाना है

Saturday, July 7, 2012

बीते पलो की तो बस इतनी सी कहानी है..


बीते पलो की तो बस इतनी सी कहानी है..
होंठो पर है मुस्कान कंपकपाती हुई..
और आँखो मे समुंदर जितना पानी है..

आज मौसम इतना हसीं है
शामे तो कल भी गमगीन ना थी..
पर इन सपनो के पंछी की तकदीर मे
आसमान तो था पर ज़मीन ना थी..
बीतो पलो की कही ये ज़ुबानी है..
रोक सकते तो रोक लेते उड़ने से
चलती कहाँ है आख़िर दिलो की ये नादानी है..


आने वाला पल भी आज ज़िद पर आड़ गया है
ज़िंदगी के लिए एक कल दूसरे कल से झगड़ गया है..
कल की इस जंग को देखो दोस्तो..
साथी कोई मुझसे बिछड़ गया.. पर
आने वाले पलो की बस अब इतनी सी कहानी है
दर्द को छुपा कर रखो सारे ज़माने से
बाँटो खुशिया आख़िर दो पल की ये ज़िंदगानी है..