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Friday, January 6, 2012

साथ तकदीर ने भी निभाया है

जब सामने देखा
जो आईने मे
साया जो नज़र आया है

जाना पहचाना है कुछ ये
गिर कर उठने की अदा से
वजूद खोया हुआ पाया है

है अनुभव ज़िंदगी
का ये हसीन
वक्त ने बड़े नाज़ो से सिखाया है

भूल गया था जो
मैं खोकर किसी को.
नसीब ने वापिस याद दिलाया है

यकीन नही था कभी
अपनी इस तकदीर पर
आख़िर साथ आज उसने भी निभाया है

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