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Friday, March 16, 2012

सच

डरे क्यों मुश्किलो से.. जब ज़िंदगी नाम है इम्तिहानो का..
पल में है खाली हाथ.. पल में तू मालिक ख़ज़ानो का..

पहचान है भीड़ की तू कभी.. कभी अजनबी वीरानो का..
सच भी लगे जूठा कभी.. ओर बन जाए इतिहास कभी बहानो का..

कभी बने दुश्मन ज़माना तेरा.. नायक बन जाए तू कभी अफ़सानो का...
चुप है अरसे से कभी तू.. कभी बन गया स्वर बेजुबानो का...

रख ताक़त बदलने की दुनिया,, ओर बन जा वजूद इन ज़मानो का..
रख भरोसा खुद पर अंजान,,, अक्स बना नयी पहचानो का..

डरे क्यों मुश्किलो से.. जब ज़िंदगी नाम है इम्तिहानो का..
पल में है खाली हाथ.. पल में तू मालिक ख़ज़ानो का..

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