Subscribe to Aman Kumar Beriwal

Tuesday, July 10, 2012

ज़िंदगी का नाम तो बस चलते जाना है


ज़िंदगी का नाम तो चलते जाना है..
मिलते है मुसाफिर काई अक्सर.. उसमे से कुछ हमराही भी होंगे...
कोई लौ है नयी उमीद का.. कोई उसमे तेरी परछाई भी होंगे
सुख दुख गुम खुशिया घड़ी दो घड़ी का आना जाना है,,
आख़िर ज़िंदगी का नाम तो बस चलते जाना है..


उँचाइयाँ होगी आसमानो की..
उन उँचे अरमानो की..
गहराइयाँ सोच की भी तो होती है..
ज़िंदगी अक्सर खुली आँखो से सोती है..
नींद की फ़िक्र कहाँ जब घर कोई बनाना है..
ज़िंदगी का नाम तो बस चलते जाना है..

गुलाब समझ जिससे महकाया हो गया बाघ कोई,,
शूलो मे हाथ तो लहू मे सना  होगा..
जो सोचा होगा लड़ने का उमड़ते तूफ़ानो से..
कभी पाषान सा सख़्त भी तू बना होगा..
ये सख्ती ओर नरमी.. गुज़रते वक्त का सिर्फ़ एक बहाना है..
ज़िंदगी का नाम तो बस चलते जाना है

No comments:

Post a Comment

Popular Posts