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Sunday, October 28, 2012

क्यों ना एक बार


क्यों ना एक बार सब फ़ासले मिटाए जाए..
क्यों ना एक बार फिर दिल से दिल मिलाए जाए...
क्यों रहे घरोंदा हमारा मातम के साए मे
क्यों ना उस मे एक बार खुशियो के दिये जलाए जाए...

कभी साथ बैठ कर मनाए होली..
गुरु पर्व पर भी हम गाये हमजोली...
क्यों ना हम साथ मनाए पर्व एक दीपो का..
क्यों ना साथ बैठ ईद पर सेंवई खाई जाए


क्यों फ़र्क ढूँढे हम अल्लाह और भगवान मे
मानवता ही लिखी है गीता और क़ुरान मे...
लहू छोड़ बहे नादिया जहाँ दूध की...
चलो फिर एक ऐसा देश बनाया जाए..

खुदा भी वही.. वही है हिंदू पुराण..
वही है ईसा भी.. वही संत नानक महान..
हिंदू सिख मुसलमान बनने से पहले..
क्यों ना एक बार इंसान बना जाए...

क्यों रहे घरोंदा हमारा मातम के साए मे
क्यों ना उस मे एक बार खुशियो के दिये जलाए जाए...

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