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Saturday, December 10, 2011

मोहब्बत बंजारो से

ना करना बंजारो से मोहब्बत ..
पिघलते देखा है पत्थर को अंगरो मे..


बुनते ख्वाब दिल की आवाज़ से..
जूझते देखा उनको तन्हाई के अँधियारो मे..


चले तैरने इस अजनबी समंदर मे
डूबते देखा उनको उफनती मझधारो माए

लगाई चिंगारी प्यार की दिल से
काँपते देखा उनको अक्सर ठंडे जाड़ो मे


लगाया है नकाब खुशियो का पर..
ठहराते देखा एक आँसू आँखो के किनारो मे..

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अंजान

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